सुस्मित तिवारी
हिरणपुर (पाकुड़) अति सर्वत्र सर्वत्र व्रजयेत के प्रसंग पर राम नवमी के अवसर पर कथावाचक कुमार रवि शंकर ने हिरणपुर मवेशी हाट स्थित शिव विवाह के प्रसंग में कहा जीवन में क्रोध समाप्त होने से अपना ओजस समाप्त हो जाता है लेकिन अति सर्वत्र व्रजयेत हैं।सुंदरकांड का उदाहरण देते हुए कहा विभीषण ने रावण को समझाते हुए क्रोध को संयम करने के लिए कहा था परंतु रावण का क्रोध अत्यधिक होने के कारण सर्वनाश हुए।
अतः मनुष्य को क्रोध, लोभ, महत्वाकांक्षा सहित सभी गुण रहना चाहिए परंतु किसी भी गुण में अति का सीमा को नहीं तोड़ना चाहिए।शिव-शती के विवाह में भी हिमालय के द्वारा शिव के प्रति क्रोध और उपहास ही विध्वंस का मूल कारण था यही कारण रावण का भी राम के प्रति था जिसके कारण दोनों ही अपने को ही खोए।
इन्होंने क्रोध को शांत करने के सटीक तरीका बताते हुए कहा जिस के प्रति जिनको क्रोध आ रहा है, उसे क्रोध शांत करने का एक ही उपाय है कि उनका महिमामंडित करें अनायास ही उनका क्रोध धीरे-धीरे शांत हो जाएगा।कुमार रविशंकर ने कहे भगवान शंकर का जब क्रोध चरम पर था तो उनके अनुचर भोले शंकर को शांत करने के लिए कहते थे *शंकर तेरी जटा में बहती है गंग धारा* और आप किस पर क्रोध करते हैं, भगवान शंकर अपने अस्तित्व का ज्ञान करते हुए शांत हुए तत्पश्चात शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ।
राम कथा में जहां सती का प्रांणात के उपरांत शिव पार्वती विवाह मनमोहक मंचन का प्रवचन से श्रद्धालु का मन मोह लिया वही स्थानीय बच्चों ने शिव पार्वती विवाह का मंचन कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।*शिव पार्वती विवाह के मंचन में स्थानीय बच्चियों में थे*शिव के रूप में प्रिया कुमारी, पार्वती बनी थी तनु कुमारी, ऋषि में शीला मरांडी ,रीना मरांडी, सखी के रूप में गरिमा कुमारी, अंजली कुमारी और गंगा कुमारी ने अपने प्रतिभा का जलवा दिखाइए।